बैशाख २७, नेपालगञ्ज । नेपालगञ्जकाे सक्रिय साहित्यिक संस्था ‘गुलज़ार-ए-अदब’ले आयोजना गर्दै आएको मासिक गजल गोष्ठीको ५सय८६औँ श्रृंखला शनिवार महेन्द्र पुस्तकालयमा सम्पन्न भएकाे छ ।
“विर्द वाे लफ़्ज़े मोहब्बत किया करता है” शिर्षकमा सम्पन्न उक्त गोष्ठीको अध्यक्षता वरिष्ठ शायर सैय्यद अशफाक रसुल हाशमी ‘शैय्यद नेपाली’ले गर्नुभयो।
कार्यक्रममा विभिन्न शायरहरूले प्रेम, सामाजिक यथार्थ, आस्था र मानवता विषयक गहकिला गजलहरू प्रस्तुत गरे। उक्त अवसरमा प्रस्तुत गरिएका केही उल्लेखनीय शेरहरू यस प्रकार छन्: • अब्दुल लतिफ ‘शौक’ “छा गई जहन पे उस के है मोहब्बत यारो, विर्द वाे लफ़्ज़े मोहब्बत ही किया करता है।” • सैय्यद अशफाक रसुल हाशमी ‘शैय्यद नेपाली’ “प्यार तो प्यार से आवाज़ दिया करता है, जुल्फ के साये में वह शाम किया करता है।” • मुस्तफा हसन कुरैशी ‘अहसन कुरैशी’ “अपने मालाें का जो खैरात दिया करता है, अज्र दुनियाँ में उसे बढ़ के मिला करता है।” • इशमाइल अन्सारी “ बेवफ़ा कैसे कहूँ वह तो वफ़ा करता है, प्यार तो यार के सीने में रहा करता है।” • सैय्यद आदिल सरवर ‘सरवर नेपाली’ “मेरा अपना है जो बस घाव दिया करता है, जब कि बेगाना रफ़ूगर है सिया करता है।” • अन्सर नेपाली “जिस का दिल फ़ज्र की रहमत से जगा करता है, उस का घर रिज़्क की बरकत से भरा करता है।” • मो. आरिफ अन्सारी “मरना जीना तो बहरहाल चला करता है, जान ले ले मेरी तू काहे को डरा करता है।” • नुरुल हसन राई “बाग़वाँ कहता है गुलशन में न आए बुलबुल, ऐसे बागों में कहाँ फूल खिला करते हैं।” • मेराज अहमद ‘हिमालय’ “सर को नेज़े पे चढ़ा करके सना करता है, अपने वादों को भी वो ऐसे वफ़ा करता है।” • नूर मोहम्मद अन्सारी “हर बम पे ‘सुकून’ का कहा करता है, वो लफ़्ज़-ए-मोहब्बत ही किया करता है।” कार्यक्रममा गजल पारखीहरूको उल्लेखनीय उपस्थिति रहेको थियो।
गोष्ठीले उर्दू साहित्य र गजल परम्पराको प्रवर्द्धनमा महत्वपूर्ण योगदान पुर्याएको भन्दै सहभागीहरूले प्रशंसा व्यक्त गरे। कार्यक्रमको अन्त्यमा आयोजक संस्थाले आगामी महिनाहरूमा अझ विविध विषयमा गजल प्रस्तुतिहरू गराउने योजना सार्वजनिक गरे। कार्यक्रमकाे सञ्चालन नुरुल हसन राईले गरेका थिए ।